15 फरवरी: महान वैज्ञानिक गैलिलियो के जन्मदिन पर विशेष
महान खगोल विज्ञानी गैलिलियो का जन्म 15 फरवरी, 1564 पीसा इटली में हुआ। सन 1610 में उन्होंने बृहस्पति के चार उपग्रह खोजे जिनके नाम आईओ, कैलिस्टो, यूरोपा और गनीमेडे रखा गया। इन्हें गैलिलियो चंद्रमा भी कहा जाता है। उन्होंने थर्मोस्कोप और कम्पास जैसी चीजें भी बनाईं।
गैलिलियो ने कोपरनिकस के सौर केंद्रित सिद्धांत को खुला समर्थन दिया। यह बात रोमन चर्च की धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध थी। सन् 1633 में चर्च ने उन्हें जेल भेज दिया गया। 8 जनवरी 1642 को 78 वर्ष की उम्र जेल में आधुनिक विज्ञान के जन्मदाता गैलिलियो का निधन हो गया।
पोप द्वारा 359 वर्ष बाद गैलिलियो से माफी मांगी गई
उनकी मृत्यु के 359 वर्ष बाद 31 अक्टूबर 1992 को विश्व के सबसे बड़े कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप जॉन पॉल द्वितीय ने गैलिलियो से मरणोपरांत सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। पोप ने एक आधिकारिक माफी जारी की, जिसमें उन्होंने वैज्ञानिक निष्कर्षों के दौरान न्यायाधीशों द्वारा की गई त्रुटियों को स्वीकार किया।
अमरीका का गैलिलियो अंतरिक्ष यान
इटली के वैज्ञानिक को सबसे बढ़िया श्रद्धांजलि अमरीका ने दी। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 18 अक्टूबर 1989 महान वैज्ञानिक गैलिलियो के नाम को अमर करने के उद्देश्य से बृहस्पति ग्रह के लिए 2380 किलोग्राम वजन के गैलिलियो अंतरिक्ष यान कैप केनरवाल से छोड़ा गया। यह यान 7 दिसम्बर 1995 को बृहस्पति की कक्षा में पहुँच गया। जो काम जिंदगी भर गैलिलियो करते रहे उसी काम को उनके नाम पर बने अंतरिक्ष यान ने बखूबी निभाया।
गैलिलियो अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति के कुल 108 चक्कर लगाए। लाखों फोटो पृथ्वी को भेजे। यान ने बृहस्पति पर अमोनिया के बादल देखे, आइओ पर ज्वालामुखी देखे, गैनिमीड और कलिस्टो पर सतह के नीचे खारे समुद्रों के मौजूद होने के संकेत पाए और यूरोपा पर भी ऐसे समुद्र के ताज़ा प्रमाण पाए। यह यान बृहस्पति और शूमेकर-लेवी 9 नामक धूमकेतु की महाटक्कर का साक्षी बना और इस घटना का आँखों-देखा हाल उसने पृथ्वी को प्रसारित किया। यान ने बृहस्पति के इर्द-गिर्द के हल्के शनि जैसे छल्लों को पहली बार देखा।
गैलिलियो अंतरिक्ष यान को नष्ट करने की वैज्ञानिक प्रक्रिया (अंतिम शव यात्रा)
21 सितम्बर 2003 को नासा ने गैलिलियो अंतरिक्ष यान को नष्ट करने के लिए एक अजीबोगरीब फैसला लिया। जब गैलिलियो
यान के अधिकांश उपकरणों ने काम करना बंद कर दिया तब NASA ने इस यान की अंतिम शव यात्रा को वैज्ञानिक तरीके से सम्पन्न करने का फैसला किया।
नासा ने अपने बयान में कहा कि चार अरब मील का सफ़र तय करने वाला गैलिलियो अंतरिक्ष यान बृहस्पति पर हमारे आँख-कान का काम करता रहा है। इस यान ने बृहस्पति के बारे में अनगिनत रहस्यों से पर्दा उठाया। बृहस्पति के 54 नए चंद्रमाओं की खोज की। गनिमेडे पर पृथ्वी के आकार का समुद्र खोजा, ग्रेट रेड स्पॉट, योरोपा पर मनुष्य के पहुंचने की संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी दी। हम आशा करते हैं कि इसकी अंतिम यात्रा से भी हमें काफ़ी जानकारी मिलेगी। जो काम महान वैज्ञानिक गैलिलियो धरती पर रहकर नहीं कर सके, वह कठिन काम उनके नाम पर बना अंतरिक्ष यान करेगा। अंतरिक्ष यान की शवयात्रा पर हब्बल स्पेस टेलिस्कोप से पैनी नजर रखी गयी । Deep Space Network, जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी, लॉकहीड मार्टिन स्पेस सिस्टम और केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से पूरी दुनिया को लाइव दिखाया गया।
गैलिलियो से जुड़ी वैज्ञानिकों की टीम ने तय किया था कि अंतरिक्ष यान का अंतिम संस्कार शान के साथ होना चाहिए, ख़ूबसूरत लाल लपटों के साथ। गैलिलियो अंतरिक्ष यान का ईंधन खत्म हो चुका था। उसके सुपर कम्प्यूटर काम कर रहे थे। बिजली पूरी तरह ख़त्म होने को थी और वैज्ञानिक नहीं चाहते कि वह बृहस्पति के किसी उपग्रह से टकराए। महान वैज्ञानिक का अंत उपग्रह पर न होकर सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह पर ही हो।
गैलिलियो अंतरिक्ष यान को 1 लाख 70 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की तेज स्पीड से बृहस्पति के वायुमंडल में पटका गया। NASA के 1200 कम्प्यूटर यान को रिमोट सेंसिंग से कंट्रोल कर रहे थे। बृहस्पति के घने वायुमंडल में प्रवेश करते ही गैलिलियो तेज़ लपटों के साथ हमेशा के लिए समाप्त हो गया। जलते-जलते गैलिलियो ने अंतिम समय में बृहस्पति ग्रह के आन्तरिक वातावरण के 1 लाख तीस हजार फोटो पृथ्वी को भेजे। नासा के वैज्ञानिकों ने इस मौके पर तालियाँ बजा कर अंतरिक्ष यान को अश्रुपूरित भावभीनी विदाई दी। गैलिलियो के सम्मान में बनाये गए अंतरिक्ष यान का अंत भी महान वैज्ञानिक की तरह ही हुआ।