प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक एवं लेखक मैकियावेली ने अपनी पुस्तक द प्रिंस में लिखा है कि, सही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गलत साधन अपनाना उचित है, दूसरे शब्दों में, यदि लक्ष्य नैतिकता और नैतिकता की दृ...
परीक्षाएं चल रहीं हैं। यह एक ऐसा समय है जहाँ बच्चे के साथ-साथ उसके माता-पिता भी तनाव में आ जाते हैं। तनाव ‘परिणाम’ का है। दसवीं-बारहवीं की परीक्षाओं का तो हमने हौआ ही बना रखा है लेकिन छोटी कक्षाओं ...
यह प्रकृति हरदम रंगों से रंगीन होती है। इसमें धूप का सफेद एवं चमकीला रंग होता है, बरसात का हरा और मटमैला रंग होता है, सर्दियों का धुआं-धुआं सा सलेटी रंग होता है। हर मौसम में ऋतु के अपने रंग होते है...
जाति न पूछो साधु की पूछि लीजिए ज्ञान / मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।
भारत को इसीलिए अनेक महापुरुषों ने देवों की धरती कहा है क्योंकि यहाँ पर संस्कृति व सभ्यता पीढ़ी दर पीढ...
“मानव का इंसान बने रहना जब कठिन प्रक्रियाओं का मंजर बन जाएगा तो सामाजिक उत्थान के लिए निमित्त बनी मर्यादाओं का उल्लंघन होना कोई असामान्य घटना नहीं होगी। सामाजिक सरोकारों के मध्य बदला लेने की नकारात...
एक समय था कि लोग छत पर लेटे हुए सितारे गिनते गिनते किसी की याद में रात बिता देते थे। मोबाइल, टेलीफोन तो थे नहीं कि उसके सहारे पूरी रात बिता दी जाए। लिहाजा तारे ही गिनने में लोग बाग मशग़ूल रहते थे। ...
राजधानी दिल्ली के आजादपुर मंडी का एक वीडियो दो तीन दिनों से वायरल हो रहा है। इसमें एक सब्जी विक्रेता की बेबसी दिख रही है। एक यूट्यूब चैनल (लल्लन टॉप) के रिपोर्टर ने सब्जी के बढ़े दामों की हकीकत जान...
भारत चिरकाल से ही महापुरुषों का देश रहा है जिन्होंने एक बेहतर समाज के निर्माण करने में अपना मूलभूत योगदान दिया है। यह समाज न जाने कितने सारे कुप्रथाओं से भरा हुआ है। आये दिन हम समाज में दहेज जैसे क...
जब भी कोई स्त्री स्वयं पर हुए शोषण की बात करती है तो प्रायः लोग कहते हैं कि “जब इतने लंबे समय तक इनका शोषण हो रहा था तो उसी वक़्त आवाज़ क्यों नहीं उठाई?”
कितना आसान है न यह कह देना! पर इसका उत्तर ...
वयमपि कवयः कवयः कवयस्ते कालिदासाद्या!' - मैं भी छंद बना लेता हूँ, तुक जोड़ लेता हूँ और कालिदास भी छंद बना लेते थे - तुक भी जोड़ ही सकते होंगे इसलिए हम दोनों एक श्रेणी के नहीं हो जाते। पुराने सहृदय ...