मनुष्य की प्रकृति ही कुछ ऐसी है कि नवीनता उसे सदैव ही ऊर्जा एवं उल्लास से भरती आई है। पौधे में खिलती नई कली को देख उसका मन प्रसन्न हो उठता है। पतझड़ के बाद आयी नयी कोंपलें उसमें जीवन रस का संचार कर देती हैं। घर की मुँडेर पर चहकते नए पक्षी को देख वह प्रफुल्लित हो उठता है। छोटा बच्चा, नए खिलौने को देख खिलखिलाने लगता है। नई मित्रता की धमक हृदय को आह्लादित किये रहती है। नए रिश्तों का अहसास गुलाबी रंगत लिए होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि नयेपन का स्वागत पूरे दिल और जोश के साथ किया जाता है। नयेपन का यह रिश्ता उम्मीद से भी जुड़ा है। तभी तो बीता हुआ कल, आने वाले कल की पीठ थपथपा; उसकी आँखों में मुट्ठी भर नवीन स्वप्न उड़ेल देता है, जिन्हें पूरा करने के लिए वर्तमान पीढ़ी, इस नई ....