नाम मेरा रामपीयारी
लोग कहें बेचारी।
कब देखूं मैं फटी एड़ियां
कब …
नाम मेरा रामपीयारी
लोग कहें बेचारी।
कब देखूं मैं फटी एड़ियां
कब …
1.
कुंडली तो मिल गई है,
मन नहीं मिलता, पुरोहित!
क्या सफल …
फूले टेसू -कस्तूरी के,
मदिर पवन डोली -आई।
विमल सलिल रंगों की …
मार्ग से परिचय नहीं है
धुंध केवल धुंध दिखती, रास्ते मगरूर से …
है गुलाबी सर्दियां अब
दिन सुहाने आ रहे हैं।
कोहरे की कम्बल …
1.
वेदना, दुख, अश्रु को,
अभिशाप कहकर गान इनका,
मत करो अपमान …
धरती से अम्बर तक फैलेगी नफ़रत की आग।
मानवता की ठोस नींव …
1.
कस्तूरी मृग सा मैं भटका
खुद को पहचान नहीं पाया।
जो …
१.
श्रांति रण में धैर्य के धनु-बाण
त्यागोगे धनञ्जय!
हार मानोगे धनञ्जय?…