आज जबकि सम्पूर्ण देश महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती को धूमधाम से मनाने की तैयारियों में लगा है, ऐसे में धोती, लाठी और चश्मे से अपनी पहचान बनाने वाले हमारे सादगी पसंद बापू न जाने क्या प्रतिक्रिया देते! संभवतः वे सबके स्नेह और भावनाओं का आदर करते हुए उनके सिर पर प्यार भरा हाथ फेरते और मुस्कुराते हुए कहते, "ये पैसा गरीबों के काम भी तो आ सकता था न!"बापू को जब भी सोचा तो वही स्मित मुस्कान लिए प्रिय दादू- सा कोई चेहरा दिखाई दिया जो सदैव सही राह पर चलना सिखाता है। जिसके पास प्रत्येक समस्या का समाधान है और वो भी बिना मारपीट के समर्थन के! जिसका निश्छल, शांत स्वभाव और शालीन भाषा ऐसे अपनेपन में बाँध लेती है कि पल भर को भी यह ....