प्रकृति, पर्यावरण और पृथ्वी
प्रकृति के इंद्रधनुष से सजी इस सृष्टि को जब-जब निहारते हैं, इसे दाता के रूप में ही पाते आये हैं। सदियों से ये धरती हम सबका भार सह रही है। नदी, पहाड़, झरने, वनस्पति इन सभी ने मिलकर जीवन संभव किया। सूरज ने ऊर्जा भरी सुबह देकर हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी तो चाँद ने थके हुए मनुष्य को अपनी नर्म बाँहों की सुकून भरी थपकी देकर उसकी हर थकान को दूर किया। प्राणवायु साँसों को अबाध गति प्रदान करती रही। सदियों से अडिग खड़े पहाड़ों को देख इच्छाशक्ति को और भी दृढ़ता प्राप्त होती है एवं इनसे गुज़रती हिमनदी हृदय में भीतर ग़ज़ब का आत्मविश्वास भर देती है। बहते पानी की आवाज़ किसी नवजात शिशु की किलकारी बन खूब ....