फेसबुकिया रचनाकार!
'फेसबुकिया रचनाकार', इस तख़ल्लुस से हम सभी भली-भाँति परिचित हैं। दुर्भाग्य यह है कि इसका प्रयोग रचनाकारों द्वारा ही, नए रचनाकारों के उपहास के लिए किया जाता है। निश्चित रूप से यहाँ बहुत से ऐसे लिखने वाले हैं, जिनका लिखा वे स्वयं भी नहीं समझ पाते होंगे पर उन पर कोई टिप्पणी करने से पहले यह जान लेना भी आवश्यक है कि क्या वो अपने लिखे को 'साहित्य' के दावे की तरह पेश कर रहे हैं? क्या वह किसी प्रतियोगिता के लिए प्रेष्य प्रविष्टि है? यदि है, तो बेशक खुले दिल से समीक्षा करें! बल्कि परस्पर संबंधों के आधार पर प्रकाशित करने वालों को भी आड़े हाथो लें। लेकिन ....