प से प्रेम
'प्रेम' क्या है? अहसासों की अभिव्यक्ति, अनुभूति, दर्द, टीस, जीवन की उमंग या आवश्यकता से अधिक ही प्रयोग होने वाला मात्र एक शब्द। जो कभी सच्चा, कभी झूठा, कभी स्वार्थ-निहित, कभी विवश भी हो जाया करता है। क्या प्रेम को समझने के लिए 'प्रेम' करना जरूरी है? संभवतः हाँ, इसे आत्मा को स्पर्श करना जरूरी है। न जाने कितने आडंबरों से घिरा हुआ है यह 'प्रेम', इसे पाने को पूरी दुनिया अधीर नज़र आती है। जबकि यह हमारे भीतर ही उपस्थित है और किसी भी कोण से मात्र स्त्री-पुरुष के शारीरिक-आकर्षण तक ही सीमित नहीं।
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