नया वर्ष, नए नोट....वही पुरानी उम्मीदें!
दिसंबर माह, वर्ष का सबसे विशेष एवं प्रिय माह होता है। पूरे वर्ष का लेखाजोखा करने के लिए एक ठहराव यहीं आता है। एक नज़र उस सूची पर जाती है, जो इस वर्ष के प्रारम्भ में लिखित/मौखिक रूप में बनाई गई थी। अचानक अहसास होता है, ओह्ह! कितना कुछ पीछे छूट गया और कितना कुछ ऐसा हुआ, जिसका अनुमान तक न था। कहीं कोई, गहरी कसक लिए दुःख को अलविदा कहने का समय तय करता है तो कहीं प्रसन्नता के साथ एक नए उत्सव की तैयारियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं। समय न किसी का कभी हुआ है और न होगा; कब, कहाँ, क्या हो जाए, कोई नहीं जानता लेकिन फिर भी हम योजनाएँ बनाना नहीं ....