हम एक ऐसे वैश्विक समाज में रह रहे हैं जहाँ हर इंसान संघर्षरत है। हम नित अपने भीतर और बाहर की दुनिया के छोटे-बड़े युद्धों से जूझ रहे हैं एवं प्रत्येक प्रतिस्पर्धा में स्वयं को एक विजेता के रूप में देखना चाहते हैं। आम इंसान, बड़े होने के स्वप्न देखता है और जो बड़े उद्योगपति हैं वे निरंतर ऊँची इमारतों, कॉर्पोरेट जगत के सौदों और उससे होने वाले विशालकाय लाभ की खोज में जुटे हुए हैं। इन्हीं लोगों और स्वार्थ से भरी इस दुनिया के बीच एक ऐसा शख्स भी आता है जो न केवल अपने महान व्यावसायिक कौशल के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी अमिट दयालुता, करुणा और अटूट प्रेम से सबके हृदय में अपना स्थान भी बना लेता है। जिसकी विरासत मात्र किसी व्यावसायिक जीत या वैश्विक विस्तार में नहीं; बल्कि उन लाखों लोग...
हम एक ऐसे वैश्विक समाज में रह रहे हैं जहाँ हर इंसान संघर्षरत है। हम नित अपने भीतर और बाहर की दुनिया के छोटे-बड़े युद्धों से जूझ रहे हैं एवं प्रत्येक प्रतिस्पर्धा में स्वयं को एक व...
रात भर जागना फिर सहर देखना
उसके जादू में कितना असर देखना
चाहना जो उसे चाहना उम्र भर
देखना जो उसे आँख भर देखना
चाँदनी रात में भी निकलता है जो
ऐसे जुगनू की हिम्मत के पर देखना
नींद आती है ...
मूल लेखक : अर्नेस्ट हेमिंग्वे
अनुवाद : सुशांत सुप्रिय
' हेनरी भोजनालय ' का दरवाज़ा खुला और दो व्यक्ति भीतर आए। वे एक मेज़ के साथ लगी कुर्सियों पर बैठ गए।
“आप ...
दीवाली दो होती हैं - बड़ी दीवाली और छोटी दीवाली। कब से दीवाली को इस तरह विभाजित किया गया है, इसकी जानकारी तो नहीं है, लेकिन मुझे लगता है इसका भी कोई राजनीतिक कारण होगा। शायद एक मांग उठी होगी जैसे प...
गमगीन है बहुत जमाना जिसके लिए
वो शख़्स तो तस्वीर में मुस्करा रहा है
कुछ लोग ज़िन्दगी में बगैर बुलाये अपने आप आ जाते हैं और फिर सारी उम्र कभी पीछा नहीं छोड़ते। स्वयं यदि चले भ...
स्नेहिल नमस्कार
प्यारे मित्रों
आशा है सब कुशल -मंगल हैं। श्राद्ध-पक्ष के बाद त्योहारों का मौसम आ गया है। हमारा भारत त्योहारों का रंग-बिरंगा देश है। एक अलग ही सुगंध से भरा हुआ, पावन संदेशों से ...
“अन्तर्मन की पवित्रता को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने हेतु मानवीय संवेदनशीलता सर्वाधिक प्रखर एवं मुखर रूप से प्रेरणादायी भूमिका निभाती है जिसमें मानवनिष्ठ सरोकार के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति के...
अम्बे मात का आगमन, मन में हास उलास।
नवरातों के रंग में, घर में हुआ उजास।।
उत्सव है परदेश में, सवरा सबका वेश।
रंग-बिरंगे वस्त्र में, सुंदर छोटा देश।।
भेदभाव को छोड़ कर, थिरके सब मिल साथ।
जयक...
भारत एक संस्कृति एवं विरासत प्रधान देश है। सांस्कृतिक विरासत में भारत की संस्कृति तथा पुराने वेद-पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि कुछ ऐसी पूज्य ग्रंथों में हमारी संस्कृति विरासत के रूप में मिली ह...
कल शाम जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में नाट्य प्रस्तुति 'सम्राट रंजीत सिंह' का मंचन गवरी शैली को आधार बनाकर किया गया। गवरी एक लोक नाट्य शैली है, जो राजस्थान के भील समुदाय के लोगों के द्वारा की जाती ह...
समसामयिक
इस अंक में ......
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रतन टाटा: करुणा और संवेदनशीलता…
प्रीति अज्ञात
संपादकीय -
ग़ज़ल
सचिन मेहरोत्रा
ग़ज़ल-गाँव -
हत्यारे- अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कहानी…
सुशांत सुप्रिय
भाषांतर -
छोटी दीवाली
डॉ. मुकेश ‘असीमित’
व्यंग्य -
विकसित भारत के प्रणेता: रतन…
नीरज कृष्ण
धरोहर , समसामयिक -
प्रेम बिना जीवन कहाँ, गाँठ…
डॉ. प्रणव भारती
प्रेम वृत्त में -
क्षमा कल्याण द्वारा व्यवहार दर्शन…
डॉ. अजय शुक्ला
आलेख/विमर्श -
नवरात्रि पर कुछ दोहे
स्मृति गुप्ता
देशावर -
ब्रज से निकल गुजरात पहुँचा…
नीरज कृष्ण
जो दिल कहे! , बातें नई-पुरानी -
नालायकों को लायक बनाते साबिर…
तेजस पूनियां
नाटक -
जुझारू और जीवंत व्यक्ति की…
सुमन सिंह चंदेल
पुस्तक समीक्षा -
यथार्थवादी जीवन का दस्तावेज ‘रोशनाई’
राकेश कुमार कुमावत
पुस्तक समीक्षा -
‘कर्मभूमि अहमदाबाद’ का पंचम वार्षिकोत्सव…
टीम हस्ताक्षर
साहित्यिक हलचल -
महिला काव्य मंच,’मन से मंच…
टीम हस्ताक्षर
साहित्यिक हलचल -
दो पत्ती कहानी, दो पत्ती…
तेजस पूनियां
फ़िल्म समीक्षा -
उलझनें सुलझाती ‘आयुष्मति गीता’
तेजस पूनियां
फ़िल्म समीक्षा -
आधुनिक संस्कृत समीक्षा का नया…
डाॅ. कौशल तिवारी
पुस्तक समीक्षा , संस्कृत -
रक्ष त्वमद्य हृदयं सदयं समेषाम्
डॉ. राम विनय सिंह
जयतु संस्कृतम् , संस्कृत -
नवगीतशती
डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय
जयतु संस्कृतम् , संस्कृत -
યશોધરા એક દિવસ આવશે
सुभाष चन्द्रा
गिरा गुर्जरी , ગુજરાતી