हम एक ऐसे वैश्विक समाज में रह रहे हैं जहाँ हर इंसान संघर्षरत है। हम नित अपने भीतर और बाहर की दुनिया के छोटे-बड़े युद्धों से जूझ रहे हैं एवं प्रत्येक प्रतिस्पर्धा में स्वयं को एक विजेता के रूप में देखना चाहते हैं। आम इंसान, बड़े होने के स्वप्न देखता है और जो बड़े उद्योगपति हैं वे निरंतर ऊँची इमारतों, कॉर्पोरेट जगत के सौदों और उससे होने वाले विशालकाय लाभ की खोज में जुटे हुए हैं। इन्हीं लोगों और स्वार्थ से भरी इस दुनिया के बीच एक ऐसा शख्स भी आता है जो न केवल अपने महान व्यावसायिक कौशल के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी अमिट दयालुता, करुणा और अटूट प्रेम से सबके हृदय में अपना स्थान भी बना लेता है। जिसकी विरासत मात्र किसी व्यावसायिक जीत या वैश्विक विस्तार में नहीं; बल्कि उन लाखों लोग...
आत्मकथा लिखना बेहद जोख़िम भरा काम है। पंजाबी लेखिका अजीत कौर का कथन है - "आत्मकथा लिखना अंगारों पर चलने जैसा है।" बावजूद इसके लेखक अपनी निजी दुनिया के द्वार, उसकी तमाम खिड़कियाँ पाठकों के लिए खोल दे...
हिंदी साहित्य में माधवराव स्प्रे लिखित कहानी ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ को पहली कहानी का दर्जा प्राप्त है। हालांकि साहित्यकारों में मतभेद होने के चलते ‘रानी केतकी की कहानी’, ‘इंदुमती’, ‘राजा भोज का सपना’...
समारोह में 'अद्वितीय गोपाचल' पुस्तक का लोकार्पण, डॉ. अंजना संधीर जी का रचना पाठ रहे मुख्य आकर्षण
टीम हस्ताक्षर
साहित्यिक हलचल
साहित्यिक हलचल
सूरज की किरणें सिखातीं,जीवन का दस्तूर।
कर्म पथ पर तुम चलो ले ऊर्जा भरपूर ll
महिला काव्य मंच,'मन से मंच तक', अंतरराष्ट्रीय संस्था की न्यू अहमदाबाद इकाई का दूसर...
दो बहनें जुड़वां पैदा हुईं उत्तराखंड के एक गाँव में। एक को बाहर पढ़ने भेज दिया और दूसरी रह गई घर में। एक लौटकर आई तो दूसरी का ब्याह रचा दिया गया। बचपन से पहली दूसरी को पसंद नहीं करती। दोनों सीता और ग...
एक लड़की गीता रूढ़िवादी समाज में पैदा हुई। एक ऐसा गांव जहां लड़कियां दो चार क्लास से ज्यादा नहीं पढ़ती। ऐसे में गीता की मां ने उसके पैदा होने के समय गीता के बाप से वचन लिया कि उसकी शादी मैट्रिक पा...
अर्वाचीन संस्कृत साहित्य का आकाश विविध विधा रूपी ऩक्षत्रों से भरा हुआ जगमगा रहा है। कथ्य और शिल्प में इधर परिवर्तन भी देखने को मिलता है। संभवतः इसका कारण यह रहा कि स्वतन्त्रता प्...
मातर्हिमाद्रितनये! विनयेन वन्दे
प्रात: कराञ्जलिनुतश्च सुतस्तवाद्य।
सद्य: प्रसीद भुवनेश्वरि संगृहाण
श्रद्धाभिषिक्तनवशारदपुष्पभावान्।।1।।
अज्ञानतैमिरमपास्य मनःप्रकाश्य
लास्यप्रथाप्रथितभावविलास...
भिल्लैरिह लुण्ठितं वनं राजा न जानाति रे
कर्तितं समस्तकाननं राजा न जानाति रे ।
राजन्ते वञ्चकाःखला लुण्ठकाःपदे पदेधुना
सुप्तमिदं हन्त शासनं राजा न जानाति रे ।
धिक्कृता यथाप्तपूरुषा जल्पनप्रवी...
વર્ષો પછી હું ઉડી ગયો
તમારા પરિચિત શહેરમાં
જ્યાં એક છોકરી રહેતી હતી
હું ત્યારે નાનો હતો,
હવે મને ખબર નથી
હું તેને કંઈ બોલી ન શક્યો
તેના વિશે ખબર નથી,
કદાચ નહીં ઘણા પત્રો લખ્યા
અને મોકલ્યા
...
समसामयिक
इस अंक में ......
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रतन टाटा: करुणा और संवेदनशीलता…
प्रीति अज्ञात
संपादकीय -
ग़ज़ल
सचिन मेहरोत्रा
ग़ज़ल-गाँव -
हत्यारे- अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कहानी…
सुशांत सुप्रिय
भाषांतर -
छोटी दीवाली
डॉ. मुकेश ‘असीमित’
व्यंग्य -
विकसित भारत के प्रणेता: रतन…
नीरज कृष्ण
धरोहर , समसामयिक -
प्रेम बिना जीवन कहाँ, गाँठ…
डॉ. प्रणव भारती
प्रेम वृत्त में -
क्षमा कल्याण द्वारा व्यवहार दर्शन…
डॉ. अजय शुक्ला
आलेख/विमर्श -
नवरात्रि पर कुछ दोहे
स्मृति गुप्ता
देशावर -
ब्रज से निकल गुजरात पहुँचा…
नीरज कृष्ण
जो दिल कहे! , बातें नई-पुरानी -
नालायकों को लायक बनाते साबिर…
तेजस पूनियां
नाटक -
जुझारू और जीवंत व्यक्ति की…
सुमन सिंह चंदेल
पुस्तक समीक्षा -
यथार्थवादी जीवन का दस्तावेज ‘रोशनाई’
राकेश कुमार कुमावत
पुस्तक समीक्षा -
‘कर्मभूमि अहमदाबाद’ का पंचम वार्षिकोत्सव…
टीम हस्ताक्षर
साहित्यिक हलचल -
महिला काव्य मंच,’मन से मंच…
टीम हस्ताक्षर
साहित्यिक हलचल -
दो पत्ती कहानी, दो पत्ती…
तेजस पूनियां
फ़िल्म समीक्षा -
उलझनें सुलझाती ‘आयुष्मति गीता’
तेजस पूनियां
फ़िल्म समीक्षा -
आधुनिक संस्कृत समीक्षा का नया…
डाॅ. कौशल तिवारी
पुस्तक समीक्षा , संस्कृत -
रक्ष त्वमद्य हृदयं सदयं समेषाम्
डॉ. राम विनय सिंह
जयतु संस्कृतम् , संस्कृत -
नवगीतशती
डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय
जयतु संस्कृतम् , संस्कृत -
યશોધરા એક દિવસ આવશે
सुभाष चन्द्रा
गिरा गुर्जरी , ગુજરાતી