
"उसके चश्मे का काँच उसी की आँखों में धंसा था, कॉलर बोन टूट चुकी थी, पैर 90 डिग्री के कोण पर थे और पेल्विस चकनाचूर...." जिस सिहरते मन और काँपते हाथों से मैं कोलकाता की डॉक्टर से जुड़े इस तथ्य को लिख रही हूँ, उससे लाख गुना अधिक क्षोभ और क्रोध से भी भरी हूँ। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वर्ष 2022 में जा...
प्रीति अज्ञात
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“उसके चश्मे का काँच उसी की आँखों में धंसा था, कॉलर बोन
1.
ये ज़िंदगी उलझे हुए बालों की तरह है
हालात के पेचीदा
आँख खुली और सपना टूटा
जीवन का यह खेल अनूठा
आँख खुली …
“ये जो पैसे वाले होते हैं ना, इन्हें नींद थोड़े आती”, मामा …
मत नाराज़गी ओढ़िए, बिछाइए,
चंद दिन को आए हैं, मुस्कुराइए!
परेशान हो …
अगर मैं यह कहूं कि हमारी पीढ़ी मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते और …
सावन झूले,
हम कहाँ हैं भूले,
मन में डोले
इंद्रधनुष
बिखेरे सात …
जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं।
वह हृदय …
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। / तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल …