
स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर अब तक राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता! जब-जब उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला है उन्होंने उल्लेखनीय सफ़लता प्राप्त की है। चाहे वह युद्ध भूमि हो या राजनीति, प्रारम्भ से ही हर क्षेत्र में स्त्री की सुनिश्चित भागीदारी रही है एवं सामाजिक -आर्थिक परिवर्तनों के लिए उसकी भूमिका सराहनीय रही है। वह सत्ता भी संभालती रही, घर-बार भी। उसने लड़ाइयां भी जीतीं और खेती-बाड़ी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाज का उनके प्रति दृष्टिकोण जो भी रहा हो पर वह अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति हमेशा सजग रही है।
यदि स्त्री पीड़ित, कमजोर और शोषित वर्ग का हिस्सा रही है तो उसने देश में व्याप्त कुरीतियों, अत्याचार, अनाचार के विरुद्ध भी खुलकर बोला ...
प्रीति अज्ञात