निज भाषा उन्नति अहै,
सब भाषा को मूल
बिनु निज भाषा ज्ञान के,
मिटै न हिय को शूल
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
आज देश भर में 'हिन्दी दिवस' मनाया जा रहा है। यह मुझे हम मनुष्यों के जन्म दिवस सरीखा ही लगता रहा है। हम जीवनपर्यन्त इस धरती पर उपस्थित रहते हैं पर अपने अवतरण का दिन सम्पूर्ण उत्साह के साथ व्यतीत करते हैं। बधाई एवं शुभकामनाएँ हर दिशा से आ, दिन के विशेष होने की अनुभूति देती हैं। ह्रदय हर्षोल्लास से भर उठता है। 'हिन्दी दिवस' भी ठीक ऐसा ही है।
जन्मते ही स्वयं को हिन्दी की गोदी में ही पाया। इसी के वातावरण में श्वांस ली। हिन्दी के पालने में झूलते हुए ही, जीवन में गति का संचार हुआ। स्मृतिपटल पर थोड़ा जोर भी डालूँ, तब भी याद नहीं आता कि सर्वप्रथम हिन्दी का कौन सा शब्द कानों में यूँ मिश्री ...
प्रीति अज्ञात