कारवाँ गुज़र गया....गुबार देखते रहे
किसी वर्ष का गुज़र जाना उन अधूरे वादों का मुँह फेरते हुए चुपचाप आगे बढ़ जाना है जो प्रत्येक वर्ष के प्रारंभ में स्वयं से किये जाते हैं। ये उन ख्वाहिशों का भी बिछड़ जाना है जो किसी ख़ूबसूरत पल में अनायास ही चहकने लगती हैं। ये समय है उन खोये हुए लोगों को याद करने का, जिनसे आपने अपना जीवन जोड़ रखा था पर अब साथ देने को उनकी स्मृतियाँ और चंद तस्वीरें ही शेष हैं! कई बार बीता बरस कुछ ऐसा छीन लेता है जो आने वाले किसी बरस में फिर कभी नहीं मिल सकता! हम सभी, हर वर्ष अपने किसी-न-किसी प्रिय को हमेशा के लिए खो देते हैं। व्यक्तिगत स्तर पर हुई इस क्षति की भरपाई कभी नहीं की जा सकती।
2018 में कला, राजनीति, विज्ञान, साहित्य, पत्रकारिता एवं अन्य विविध क्षेत्रों से सम्बंधित क...
प्रीति अज्ञात