बंद, दंगे और मानवता का आर्तनाद
ये न हिन्दू हैं, न मुस्लिम, न दलित और न ही किसी और धर्म-जाति से सम्बन्धित लोग! दरअस्ल ये अक़्ल से पैदल मानवों का एक ऐसा समूह है, जिसे सिर्फ़ और सिर्फ़ यही करना आता है इसीलिए आप जब, जो भी जी चाहे; इनसे करवा सकते हैं। आप इन्हें किसी का सिर फोड़ने को कहेंगे, ये फोड़ आयेंगे। किसी का घर तोड़ने का कहेंगे, ये तोड़ आयेंगे। आग लगाने का कहें, लग जाएगी। मार-कुटाई, लूटपाट, हत्या ये सब इनके लिए खेल हैं, तमाशे हैं जिन्हें दिखाने के एवज़ में इन्हें अच्छा भुगतान भी मिल ही जाता है। इनमें से कई वे लोग भी हैं, जो शराब की एक बोतल के बदले अपना वोट बेचते आए हैं अर्थात इन पर अधिक ख़र्च की भी कोई दरकार नहीं! ये अलग बात है कि दयालुतावश कोई इन्हें कभी कम्बल, साइकिल, बस्ता, लैपटॉप जैसी वस्तुए...
प्रीति अज्ञात