
वर्तमान समय को हिंदी का पुनर्प्रतिष्ठा काल कहना अधिक उचित प्रतीत होता है क्योंकि आज इसकी लोकप्रियता और साख पूरे विश्व में व्याप्त है। तमाम व्यावसायिक कंपनियां अपने विज्ञापनों में हिंदी का गर्व के साथ प्रयोग कर सफल हो रहीं हैं। वे जनता की नब्ज़ को अच्छे से जान इसका पूरा लाभ ले घर-घर पहुँच चुकी हैं। यद्यपि इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि भारत में अंग्रेज़ी को हमेशा से ही अधिक मान मिलता रहा है। यह हमारी 'अतिथि देवो भवः' की सभ्यता का परिणाम है या कुछ और, इस पर वर्षों से मनन, चिंतन होता आया है। निश्चित रूप से अंग्रेजी, भाव प्रेषण और अभिव्यक्ति के माध्यम की स्वीकृत वैश्विक भाषा है और इसे जानना भी उतना ही आवश्यक है जितना हिंदी को। दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि हम भारतीयों ने आंग्ल भाषा को बुद्धिमत्ता ...
प्रीति अज्ञात