यूँ तो हर माह ही कोई-न-कोई समाचार होता है जो मीडिया के साथ-साथ पूरे देश को भी व्यस्त रखता है। लेकिन बीते दिनों लगातार कुछ-न-कुछ ऐसा होता रहा जिसने न सिर्फ़ हमारी सोच को बल्कि दिनचर्या को भी अस्त-व्यस्त करके रख दिया। साधारण सुखविंदर कौर से एक आध्यात्मिक गुरुमाता का चोला ओढ़ लेना कोई आश्चर्य की बात नहीं पर उसकी आड़ में दहेज़ उत्पीड़न और अश्लीलता फैलाना अत्यंत ही शर्मनाक और निंदनीय कृत्य है। इससे भी अधिक कष्टप्रद यह देखना है कि इस मायाजाल का शिकार, केवल अशिक्षित या निर्धन व्यक्ति नहीं बल्कि समाज का एक शिक्षित, समृद्ध वर्ग भी रहा है। पढ़े-लिखे और तमाम भौतिक सुख-सुविधाओं में जीने वाले इंसानों को भी जब इस संसार में दिलचस्पी या आशीर्वाद की चाह है तो इस तथ्य की पूरी तरह से जांच-पड़ताल होना और भी आवश्यक ...
प्रीति अज्ञात