आज के AI के दौर में हम देश और दुनिया की तरक्की का दम भरते हैं, जहाँ बटन दबाते ही रॉकेट तक उड़ जाता है, कही भी कोई भी सूचना का आदान-प्रदान किया जा सकता है और हम भी अपनी इन वैज्ञानिक सफलताओं से अभिभूत हो दुनिया के कोने-कोने तक तूती बजा नाचते रहते हैं।
इसी प्रकार आज के ग्लोबलाइजेशन और अर्बनाईजेशन के दौर में एक व्यक्ति के पास जीवन जीने के शानदार तौर-तरीके और सुविधाएं मौजूद हैं। आलीशान घर से लेकर दफ़्तर तक,लगता है जैसे कोई पाँच सितारा होटल। ऊँची और बड़ी इमारतों को देख लगता है कि हमारा देश तो वाक़ई में प्रगति पथ पर अग्रसर है।
मगर जनाब! आप शायद किसी भ्रम में जी रहो हो, और असलियत से अनजान हो। अभी कुछ दिन पूर्व झाँसी के मेडिकल कॉलेज में बच्चों के वार्ड में लगी आग की घटना ने हमारा तथाकथित ‘विकसित और सुरक्षित भारत’ होने का विचार को चकनाचूर कर दिया। जहाँ नवजात वार्ड के दस बच्चों को आग ने अपना ग्रास बना लिया। वे शिशु , मात्र कुछ घंटों या दिन पूर्व ही जन्मे थे।
कहते हैं, ‘मृत्यु जीवन का कटु सत्य है।’ मगर इस हादसे को आप क्या कहेंगे?,जहाँ शरीर में प्राण पड़ते ही प्राण छूट गये! अभी झाँसी की आग तो दमकल ने बुझाई ही नहीं थी, तभी अहमदाबाद की एक आलीशान रिहायशी सोसाइटी में आग लगने की खबर ..पुनः आग की भाँति फैल गई।
ऊँची आलीशान बिल्डिंग, जिनमे प्राइवेट बिल्डर्स करोड़ों रुपयों में आपको पंचतारा सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं, जैसे; उच्च कोटि का क्लब हाउस, शॉपिंग काम्प्लेक्स, खेलने कूदने के कोर्ट, लिफ्ट इत्यादि। किंतु सवाल ये उठता है कि करोड़ों रुपया लेकर आपकी और मेरी सुरक्षा को लेकर क्या कुछ किया जाता है?
आग का लगना, कभी भी, कहीं भी हो सकता है। पर उससे बचाव के लिए क्या मापदण्ड अपनाये जाते हैं, जिन इमारतों में अमूमन 200-250 तक परिवार रहते हैं। क्या सिर्फ़ कुछ मिट्टी और बजरी के बोरे भरकर और कुछ फायर सेफ़्टी सिलेंडर लगाकर इस कार्य की इतिश्री कर ली जाती है? या फिर वहाँ के सिक्योरिटी गार्डस और लोगों से आग से बचाव के उपाय कैसे करें और कैसे अग्नि बचाव यंत्रों का प्रयोग करें, की मॉक ड्रिल करवाई जाती है?
आग लगते ही लोगों में अफरातफ़री मच जाती है। उससे निपटने के लिये क्या कुछ तरीके लोगों को बतलाये जाते हैं? झाँसी मेडिकल कॉलेज में कुछ दिन पूर्व ही आग से बचाव से संबंधित मॉक ड्रिल की गई थी, इस प्रकार की खबरें भी सामने आ रही है जिसमें सुरक्षा के सभी मापदंडों को ठीक घोषित करार दिया था।
फिर सवाल ये आता है कि ये ग़ैर जिम्मेदाराना हादसा क्यों हुआ? सवाल तो बहुत हैं मगर जवाब? जवाब में सरकार द्वारा जाँच समिति गठित की जायेगी। साल-दो साल तक कारणों की खोज होगी, फिर जिम्मेदारी किसकी? इसका निर्णय होगा…तब तलक फाइल पर मन भर गर्द जमा हो चुकी होगी।
फिर एक बार और कहीं आग लगेगी। हम वीडियो और रील्स बनाकर उनको सोशल मीडिया पर डालकर अपने एक सजग और सतर्क नागरिक होने का फर्ज निभाएंगे, मगर ये कभी नहीं सीखेंगे कि इस प्रकार की आपात स्थिति में आग पर काबू कैसे पाया जाये, कैसे अग्निशमन यंत्रों का प्रयोग करें।
जयहिंद।