मानव स्वभाव है कि वह नवीनता के प्रति आकर्षित होता है। नए कपड़े बनते हैं तो उसे पहनने को लेकर एक अलग ही उत्साह रहता है, नई वस्तु आती है तो हृदय प्रसन्न रहता है, बगिया में लगा नया पौधा या पौधे में खिलती कली भी मन को भीतर तक सुगंध से भर देती है। एक नया खिलौना पाकर नन्हा बच्चा जैसे खिलखिलाता है, वैसे ही नयापन हमें उल्लास से भर देता है। जैसे ढोल-बाजे के साथ नए शिशु का आगमन होता है, या कि नई बहु के स्वागत की तैयारियाँ की जाती हैं, वैसी ही प्रसन्नता के साथ नव वर्ष हमारे जीवन में आता है। नई अनुभूति का संचार होता है और हम इसे एक उत्सव की तरह मनाते हैं।
प्रायः खुशियाँ व्यक्तिगत होती हैं या फिर हमारे परिवार, समाज, शहर, कार्यक्षेत्र से जुड़ी रहतीं हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि हम खुशियों को सम्पूर्ण व...
प्रीति अज्ञात