16 दिसंबर 2021 की एक घटना पुनः लिख रही हूँ जिसमें एक व्यक्ति कहता है "एक कहावत है कि यदि आप रेप रोक नहीं सकते हैं तो लेटो और मजे लो!" यह सुनकर सामने कुर्सी पर बैठा तथाकथित सम्माननीय व्यक्ति ठहाका लगाने लगता है और फिर उसका साथ देने को इस हँसी में अनगिनत भद्दी आवाजें शामिल हो जाती हैं। यह किसी C- ग्रेड फ़िल्म की पटकथा नहीं बल्कि कर्नाटक विधानसभा से प्रसारित निर्लज्जता की जीती जागती तस्वीर थी। हाँ, हम स्त्रियाँ फिर एक बार इस अश्लील हँसी पर शर्मिंदा हुईं थीं, जो गाहे-बगाहे हमारे कानों में अक्सर पड़ती ही रहती है। इन आदमियों और संभावित बलात्कारियों के बीच में कितना अंतर था, यह आप तय कीजिए! मैं इतना ही बताना चाहूँगी कि उस दिन निर्भया कांड की बरसी थी! पर इन मरी हुई आत्म...