कितने आश्चर्य की बात है कि पृथ्वी की सबसे बुद्धिमान प्रजाति मनुष्य को भी यह स्वयं को स्मरण कराना पड़ रहा है कि उसके पास बस यही एक घर है और अब उसके रख-रखाव का और उसे संभालने का समय आ चुका है। आधुनिकता एवं स्वार्थ सिद्धि की अंधी दौड़ में लिप्त मनुष्य को अब कहीं जाकर इस तथ्य का अनुमान होने लगा है कि स्थिति सचमुच इतनी खराब हो चुकी है कि उसे पर्यावरण असंतुलन से उपजी समस्याओं के प्रति सचेत हो जाना चाहिए। इस बार "विश्व पर्यावरण दिवस" की थीम है - "केवल एक पृथ्वी" तथा इस अभियान का नारा है- “प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना।” यद्यपि थीम को प्रतिवर्ष कुछ नया नाम भले ही दे दिया जाता हो पर इसका संदेश एक ही है। वह है, मानव जाति को पर्यावरण का महत्व समझाना और उसके प्रति दायित्व निर्वाह को प्रेरित करना।
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प्रीति अज्ञात