
यह समय, जैसे कोई बुरा स्वप्न चल रहा है
बीते दिनों उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परिणाम घोषित किये गये, जिसमें लगभग 8 लाख परीक्षार्थी हिन्दी विषय में फेल हो गये। उधर परिणाम आये और इधर उनकी स्वाभाविक विवेचना प्रारम्भ हुई। इन लम्बी-चौड़ी बहसों में अधिकांश का ज़ोर इसी बिंदु पर था कि हिन्दी भाषी राज्य होते हुए भी भाषा की ये दुर्गति!
प्रश्न उठता है कि हिन्दी की दुर्दशा कहाँ नहीं हैं? किस प्रदेश में उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है?
जब आप संभ्रांत मनुष्यों की भाषा का मुकुट आंग्ल भाषा को पहनाते हैं, उसी समय आप अपनी भाषा का दु:खद भविष्य निश्चित कर देते हैं।
घर में अतिथियों के आने पर बच्चों का ज्ञान प्रदर्शन करवाते समय उनसे अंग्रेजी भाषा की लघु कविताएँ सुनव...
प्रीति अज्ञात