सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे भवन्तु सुखिनः
इस समय विश्व भर में जो हालात हैं और जिस तरह गोला-बारूद बनाते-बनाते विकास ने हमें मानव-बम तक पहुँचा दिया है, उसे देख 'शांति' की बात करना थोड़ा अचरज से तो भर ही देता है! पहले नुकीले पत्थर, भाले इत्यादि का प्रयोग जंगली जानवरों से स्वयं की सुरक्षा हेतु किया जाता था। चाकू-छुरी ने रसोई में मदद की लेकिन फिर आगे बढ़ने की चाहत में मनुष्यों ने इन्हें एक-दूसरे को घोंपने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इससे भी उसे शांति प्राप्त नहीं हुई तो ऐसे अत्याधुनिक हथियारों का निर्माण हुआ, जिससे एक बार में ही कई लोगों को सदा के लिए सुलाया जा सकता है। मानव अब भी ख़ुश नहीं था और स्वयं को सबसे अधिक ताक़तवर सिद्ध करने की ताक में रहने लगा। इसी प्रयास को मूर्त रूप देने के ...
प्रीति अज्ञात