'भारत' हमारी जननी, जन्मभूमि है, इसीलिए हम सभी इसे स्नेह से 'भारत माँ' कहते आये हैं। प्राचीनकाल से गाय की पूजा होती रही है, साथ ही इसके दूध और उससे बने उत्पाद हम सभी के आहार का प्रमुख हिस्सा हैं। राष्ट्र के विकास में डेयरी उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए गाय को 'माँ' का दर्जा देना तर्कसंगत है। लेकिन सेलिब्रेशन के नाम पर बन्दूक की नाल में कबूतरों को फँसाकर उन्हें हवा में ही भस्म होता हुआ देख किस माँ की आँखें नम न होती होंगी? क्या अन्य जानवरों पर अत्याचार होते देख उसका ह्रदय ग्लानि से न भर जाता होगा? आख़िर कौन सी माँ अपने बच्चों को किसी की हत्या करना सिखाती है? उन्हें रक्षक के नाम का मुखौटा लगा भक्षक बन जाता देखना भला उसे कैसे रास आ सकता है? जिसकी रक्षा के नाम...
प्रीति अज्ञात