गोया मैं एक
खाली भेज नहीं हूं
कि तुम कुछ भी
रखकर चल दो
साग सब्जी,जूठे बर्तन
कागज या पेपरवेट
चाय काॅपी के प्याले
या कुछ और
मैं कोरी स्लेट भी नहीं हूं
कि तुम मनचाहे
अक्षर ढाल सको
प्यार या नफरत भरे
चीख चिल्लाहट
या गाली गलौज
या वह सब कुछ
जो तुम चाहो
मैं तुम्हारी दासी नहीं हूं
कि जूठन पर पलती रहूं
उतरन पहनती रहूं
लतियाना झेलती रहूं
मैं कोई खिलौना नहीं
कि तुम अपनी मर्जी से
तोड़ मरोड़ कर किसी
डस्टबिन में फेंक सको
न मेरी आंखों पर
पट्टी बंधी है
और न मैं
न्याय की देवी हूं
कि तुम मेरे साथ
खड़े होकर
काला सफेद कर सको
मैं न अपराधी हूं
कि गीता रामायण की
सौगंध खा सकूं
सबूतों के अभाव में
मेरी अस्मिता के सवाल पर
मुझको गुनहगार
साबित कर सको
खुदा नहीं हो तुम
यदि होते
तब भी नहीं झेलती
मैं इन्सान हूं
पूरा एक जिस्म
एक वजूद एक एहसास
आत्मसम्मान से लबरेज
भूल जाओ कि तुम
मुझे झुका सकोगे
तोड़ सकोगे
मैं कायर नहीं कि
परिस्थितियों से हार जाऊं
तुम्हारा होना न होना
अब फर्क नहीं पड़ता
मैंने तुम्हारे बिना
जीना सीख लिया है
मैं वह हवा नहीं
जो बंद दरवाजों पर
दस्तक देती रहूं।
समझ रहे हो तुम
मुझको तुम,मुझको तुम।