अतिरिक्त
कौन नहीं चाहता
खुद को मिलते प्रेम में
अतिरिक्त प्रेम,
जीवन में मिलती सुविधाओं से
अतिरिक्त सुविधाएं,
जेब में रखे हुए धन से
अतिरिक्त धन,
मिली हुई शोहरत से
अतिरिक्त शोहरत,
ये अतिरिक्त ना हो तो
कितना कुछ जहां है
वहीं थम जाए
अतिरिक्त, कई बार कितना जरूरी होता है
***************************
हँसी
और बाइज्जत बरी होते वक़्त
कत्ल हुए आदमी की बेटी की तरफ देखते वक़्त
उसके होंठों पर हँसी फैल गई
कोई कह रहा था
आदमी जब मरता है तो
अपनी मौत ही मरता है
बाकी तो सब बहाना बनता है
मैं कई बार देखता हूं
तेजाब से झुलसी युवती का चेहरा
गले में टायर डालकर जिंदा जलाए गए व्यक्ति के परिजन
गाड़ी के नीचे कुचले व्यक्ति का जिस्म
लाठियों से मार कर अधमरे शरीर
या एक ही गोली से उड़ गए बदन
लेकिन मुझे वहां कभी बहाना नहीं नजर आया
सिर्फ हँसी नजर दूर तक जाती हुई
आकाश कितना भी फैला हुआ क्यों न दिखाई दे
लेकिन बहुत सारे लोगों के लिए ये सिकुड़ जाता है
और हँसी सिर्फ होंठों पर ही नहीं फैलती
***************************
बुहारना
रोज देखता रहता
मां , किसी कलाकार की सी नफासत से
बुहारती फर्श को,
बिस्तरों की चादरें झाड़ कर फिर से बिछाती, यूं
जैसे कोई नाजुक कशीदाकारी करता,
कोने कोने से उतारती धूल
कोई चित्रकार संवारता ज्यूं कैनवास अपना,
एक दिन यूँ हँस कर बोला
क्या फायदा ऐसी कलाकारी का,
रोज संवारती रहती हो
पूरे का पूरा घर,
और अगले दिन फिर से सब धूल से सन जाता,
मुस्कुरा कर बस इतना ही बोली
धूल से सन जाने का पता लगना जिंदा होने जैसा है
और धूल को साफ करते रहना, इंसान बने रहने सा
और मैं जान गया
जिंदा होने भर
और इंसान होने के बीच का अंतर
सच में
झाड़ना, बुहारना जरूरी है
इंसान बने रहने को