लेवल
लेवल सिर्फ
ऑक्सीजन का गिरता
तो सम्भल जाता, सम्भाल लिया जाता
दर्द इस बात का है
कि
मानवता और संवेदनाओं का
लेवल भी गिर गया।
समय लगेगा, सम्भलने में।
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डूबती ज़िंदगी
नदियों में लाशों का तैरना
बताता है कि
मानवता का उत्प्लावन बल
हर समय दरिंदगी के गुरुत्व बल से
परिमाण में
ज्यादा हुआ करता है।
कितना भी करो कोशिश
दूर जाकर ही सही
तैर जाती हैं मृत्यु
तभी तो,
ज़िंदगी इन दिनों डूब रही है
पल प्रति पल।
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अम्मां
अम्मा !
क्या, कैसे, क्यूँ
रचूँ तुम पर छंद !
तुमने रचा
गढ़ा मुझको,
हूँ तुम्हारा ही निबन्ध !!
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बारिश
ज़िंदगी के
रेगिस्तान में
मैंने
संजो रखी
एक अंजुरी
बारिश सी नमी
बस वो बूँदें छलके नही
है इत्ती सी उम्मीद!