कोहरे से ठंडी रात
बर्फ की चादर ओढ़े
वृक्षों की पत्तियों के जाल में
छनकर आती हुई चाँदनी
व सितारों की रोशनी
सिहरा जाती है शरीर को
अंगों के रोम हो जाते हैं खड़े
अंगीठी का ताप
गर्म स्वेटर और
रजाई की गर्मी
खिडक़ी से झांकती
बिल्ली की आँखें
सपनों को बुला लेती हैं
कितना सुकून देती हैं
सुबह की वह ठंडी हवा
जाडों में सुर्ख भास्कर का
दिव्य दर्शन
आज धूप आएगी
कर जाता है रोमांचित
मूंगफली के फेंके टुकड़े
चूल्हे की आग को तेज करतेहाथों को आपस मे रगड़
चाय या कहवा पीते हुए
गुनगुनाते हुए भजन या
किसी फिल्मी गीत के बोल
ला देते हैं, शरीर में गर्मी
मफलर गले में लपेटे
उर्जित शरीर तैयार है
फिर अपने काम को
आज धूप आएगी
कर जाता है रोमांचित
मूंगफली के फेंके टुकड़े
चूल्हे की आग को तेज करतेहाथों को आपस मे रगड़
चाय या कहवा पीते हुए
गुनगुनाते हुए भजन या
किसी फिल्मी गीत के बोल
ला देते हैं, शरीर में गर्मी
मफलर गले में लपेटे
उर्जित शरीर तैयार है
फिर अपने काम को