दुनिया के तमाम हुक्मरान्
अपने फायदे के लिए
बांटते रहे
रौशनाई के रंग
और रंगों में बंटती रही
क़लमकारों की क़लम
कलम से
बंटते रहे क़लमकार
होते रहे इनकी
साजिश का शिकार
किसी की क़लम
करती लाल सलाम
किसी की क़लम
करती पूंजी को प्रणाम
किसी की क़लम
गाती मजहब के गान
इन सबके बीच
खो जाता इंसान
सो जाता ईमान
रौशनाई,
नहीं है केवल सियाही
रौशनाई,
जब बिखेर देती है सात रंग
हर रंग की
अपनी अपनी तरंग
बैंगनी, नीला,
आसमानी, हरा, पीला,
नारंगी, लाल
बैंनीआहपीनाला
मिल कर, कर देते कमाल
और रच देते
एक नया अदबी सूरज
सूरज, जो है
सात रंगों का गुलदस्ता
और, यह गुलदस्ता
मोहब्बत,रहमत ,इंसानियत,
सच्चाई, अच्छाई,
तरक्की और वतन परस्ती
जैसे रंग-बिरंगे फूलों से सजता।