1)
और कितने वर्ष?
हम भरम में जी रहे हैं,
या सही में बढ़ गए हैं,
किस दिशा में चल रहा है, क्या पता संघर्ष?
और कितने वर्ष?
कल्पना तो कल्पना है,
पर कहो प्रत्यक्ष क्या है,
स्वप्न में ही दिख रहा है, आजकल उत्कर्ष।
और कितने वर्ष?
धारणा का फेर है यह,
सब्र है या देर है यह,
यह प्रतीक्षा पी न जाए, योग्यता का हर्ष!
और कितने वर्ष?
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2)
माँग लो उपहार कोई।
यदि यही है प्रेम की अंतिम परीक्षा।
यदि यही है आख़री जप साधना का।
बे-झिझक फिर माँग लो तुम,
प्रीत का आधार कोई।
माँग लो उपहार कोई।
क्या इसी से मान होगा आगमन का?
मोल क्या कुछ भी नहीं अपने मिलन का?
भेज देता हूँ यहीं से,
भेंट अबकी बार कोई।
माँग लो उपहार कोई।
भक्ति का व्यापार से संबंध क्या है?
प्रेम का उपहार से संबंध क्या है?
सोच लो! तुम माँगने में,
खो न दो अधिकार कोई।
माँग लो उपहार कोई।