1
हम पेड़ों से मिलने क्यों न जाएँ
पहाड़ों में हम पेड़ों से मिलने जाते हैं
और पेड़ हैं कि इतने में ही हरे हो जाते हैं
स्याम भी किसी पेड़ से मिलने गए थे
हरीतिमा यूँ ही देर तक बनी नहीं रहती
पेड़ इतने में ही हरे हो जाते हैं
मिलने जुलने से पेड़ हरे होते हैं
फिर फिर मिलने से पेड़ हरे रहते हैं
हरे होने से ही पेड़ अड़े रहते हैं
हरे होने से ही पेड़ खड़े रहते हैं
पेड़ की जड़ें होती हैं
पेड़ पर जड़ नहीं होते
इसीलिए पेड़ हरे होते हैं
पहाड़ों में हम पेड़ों से मिलने जाते हैं
और पेड़ हैं कि इतने में ही हरे हो जाते हैं
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2
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ दीप नहीं कि
दीपदान कर
मुक्त हो जाएँ
स्मृतियाँ पत्थर की अग्नि हैं
हर बार स्मृति की टकराहट से
चमक उठती हैं
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3
रुकोगे ना हमराही
रुकोगे ना !
साथी वह नहीं जो साथ चले
साथी वह जो साथ रुक सके
अकेलेपन में, पीड़ा में, चौराहों में
साथी चलने में अक्सर बाज हो जाते हैं
उड़ते हैं और शिकार करते हैं
मैंने नन्हीं चिड़िया को साथ
साथ रुकते देखा है
मैं रुकूँगा साथी तुम्हारे लिए
तुम साथी रुकोगे ना !
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4
नदी मनुष्य की वर्णमाला नहीं जानती
नदी वर्ण नहीं जानती
नदी मनुष्य की वर्णमाला नहीं जानती
नदी
पोखरों, धाराओं, नदियों और बरसात के पानी से
घुलती मिलती है
नदी इस उस से मिलने के बाद परेशान नहीं होती
नदी किसी से मिलने के बाद हाथ नहीं धोती
बहती है नदी
कहती नहीं नदी कुछ
बहते हुए मिलते हुए
कर देती है नदी अपने मन की
नदी वर्णवाद लेकर रुकती नहीं