हवा हुई अब जहरीली सो कैसे खेलें होरी
कदम कदम पर रंग बदल कर मिले है छोरा छोरी
बोलो सा रा रा
गेरुआ रंग से तन रंगा था हिय हरे से मालामाल
लाल बीच में कौन डार गया खिंच गई है तलवार
बोलो सा रा रा
हल्दी सा था मन का मौसम निफरी-अमुअन डार
कोयल को अब कौन छीन ले गया हुआ बसंत उदास
बोलो सा रा रा
पहन उजास हम निकले थे गलियन के उस मोड़
काले रंग से भीगा कुर्ता सभी रंग में घाव
बोलो सा रा रा
कठिन हुई अब प्रीत रीत की अजब हो गए हाल
होली अब आभासी दुनिया कोई न निकले यार
बोलो सा रा रा
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