मौत से पहले भी सम्भव है
यहां तक कि दूसरे जन्म में भी…
समय से पहले बाल भी बांका
नहीं किया जा सकता
कभी गाड़ी नाव पर
कभी नाव गाड़ी पर
विधि का यही है विधान
फिर भी
मगरमच्छ की भोजन होती आ रही हैं
तालाब की मछलियां
मेमने की गर्दन पर छप सा गया हैं
छुरी का निशान
गर्भ से ही
और मेंढकों की कब्रगाह बनते हैं सदैव
सांपों के उदर
युग कोई भी रहा हो
कसाई की गर्दन तक नहीं पहुंच पाया
कोई मेमना
घड़ियाल नहीं बन पाए मछलियों के आहार
और न ही मेंढक निगल पा रहे हैं
एक भी सांप…
बार -बार पिस रहे हैं केवल
निरीह…
यह कैसा न्याय है प्रभु?
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