परिवर्तन
हमने देखा था,पढ़ा था,
सुना था,
चित्रों में, किताबों में,
गीतों में,
पंख फैलाकर नाचते हैं मोर
जब खुश होते हैं।
उनकी सुरीली आवाज़ सुनी थी
बागों में,वनों में।
हमने बचपन में जब भी
मोर का चित्र बनाया,
या कल्पना में सजाया
उन्हें नाचते हुए
खुशहाल ही पाया।
लेकिन कल्पना से परे
हक़ीक़त में
वह नए रूप में
नज़र आया।
घबराहट में उड़ते हुए,
बसेरा छीनने पर
आक्रंद करते हुए,
और कुछ अजनबी लोगों से
डरते – सहमते हुए।
हमने जाना
मोर पंख फैलाकर
नाचता ही नहीं
अपने प्राण बचाने के लिए
भागता भी है।
इसी तरह चलता रहा
तो ऐसा भी वक्त आएगा,
आने वाली पीढ़ी के लिए
मोर का चित्र बनाना
कठिन हो जाएगा।

मई 2025
229 Views
परिवर्तन
परिवर्तन हमने देखा था,पढ़ा था, सुना था, चित्रों में, किताबों में, गीतों में, पंख फैलाकर नाचते हैं मोर जब खुश होते हैं। उनकी सुरीली आवाज़ सुनी थी बागों में,वनों में। हमने बचपन में जब भी मोर का चित्र बनाया, या कल्पना में सजाया उन्हें नाचते हुए खुशहाल ही पाया। लेकिन कल्पना से परे हक़ीक़त में... Read More