मुझे उड़ान भरनी है
मुझे उड़ान भरनी है
आसमान में
अनंत ऊँचाई तक
जहाँ से मैं
नाप सकूँ
अपनी मंजिल की ऊँचाई,
मुझे अपने पंख खोलने है
पिंजरे से बाहर
आजाद खुले गगन में
तेझ हवाओं से टकराने को,
मुझे जाननी है
अपने पंखों की ताकत
कि वो कब तक
आँधियों में
फड़फड़ा सकते है,
मुझे देखना है
सफ़र के अंत को
सफ़र की शुरुआत से
बादलों पर तिरते,
मुझे उड़ान भरनी है
सूरज की रोशनी में
एक किरण
अपनी उड़ान से चमकाने को
*****************
मैं, तुम्हारा पिता
क्या तुम
मुझे पहचानते हो?
मैं, तुम्हारा पिता
तुम मेरे अंश हो
तुमने स्पर्श
पहचाना मेरा
तुम, मुझे
अपना मानते हो
अभी तुम
नन्हे पुष्प हो
तितली जैसे
थोड़े चंचल
और नटखट भी
तुम्हारी कोमल,
निश्छल मुस्कान
मेरी जीवनरेखा बन
सब थकान,
सारी दुविधाएँ
मिटा देती है
क्या यह
तुम जानते हो?
मैं, तुम्हारा पिता
क्या तुम
मुझे पहचानते हो?