घन घोर घटाओं तुम बरसो
तरु पल्लव तृण-तृण पर बरसो
पीयूष स्रोत सा बन कर बरसो
जीवन के उर्वर बन बरसो ।
घेर -घेर बादल तुम बरसो
मृत्तिका के सुधा रस बरसो
जीवन संचारक तुम बरसो
जीवन के ज्योतिर्मय बरसो।।
बरसो दिग्दिगंत प्रकाशमान
लघु प्राणों के जीवन दान
किसलय के सुषमा खान
बरसो तरु -तरु के चेतन ।।।
हे चिर! नूतन यौवन
सं
कर प्रणय आलिंगन घन