सुबह – सुबह सड़कों पर
दौड़ती जिंदगियाँ
सड़कें बन जाती हैं
कर्तव्यपथ राहगीरों की
निश्चित ही पहुँचाती हैं
उनके नित्य ध्येय तक
पर कभी – कभी परम ध्येय
स्वयं चला आता है
सड़कों पर जिन्दगी से मिलने
असमय ही
और छोड़ जाता है
जिन्दगी को सड़कों पर
हमेशा के लिए
आदतन इल्जाम
छोड़ देता है सड़कों पर
क्योंकि वह भी बंधा है
समय के बंधन से
हल हो जाता है समीकरण
व्यक्ति और वक्त का
बदनाम हो जाती हैं
सड़कें मुफ्त में
दिसम्बर 2024
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बदनाम सड़कें
सुबह – सुबह सड़कों पर दौड़ती जिंदगियाँ सड़कें बन जाती हैं कर्तव्यपथ राहगीरों की निश्चित ही पहुँचाती हैं उनके नित्य ध्येय तक पर कभी – कभी परम ध्येय स्वयं चला आता है सड़कों पर जिन्दगी से मिलने असमय ही और छोड़ जाता है जिन्दगी को सड़कों पर हमेशा के लिए आदतन इल्जाम छोड़ देता है... Read More