1. सुख दुख की लहरें आती हैं
सुख दुख की लहरें आती हैं मेरे जीवन तट पर
किस पर ठहरूं किससे उबरूं सोचे मन ये दिनभर
डूबता और उभरता रहता आस निराश के जल में
कौन बनेगा मेरी कश्ती मेरी नैया क्षण भर
न कोई रस्ता न कोई मंज़िल सूझे मुझको यारा
न कोई हाथ पकड़कर चलने वाला ना ही सहारा
ख़ुद के जज़्बे को ही थामे मुझको चलना होगा
तब ही उदासी की लहरों से लड़कर मिले किनारा
संघर्षों के बादल जब तब उमड़ घुमड़ घिर आते
फिर फिर आशा की बदली को लेकर वे उड़ जाते
जब जब आगे बढ़ना चाहा मुश्किल ने है रोका
लेकिन साहस के पर्वत के आगे वे झुक जाते
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2. मैं हूँ मजबूर नहीं
माना हूँ कमज़ोर मगर मैं हूँ मजबूर नहीं
मंज़िल मेरी बहुत कठिन है लेकिन दूर नहीं
ये पीड़ा के आँसू मुझमें और ही आग भरेंगे
हिम्मत मेरी और बढ़ेगी जितने दर्द बढ़ेंगे
ठाना है ये मन में अब तो है ये फितूर नहीं
मंज़िल मेरी बहुत कठिन है लेकिन दूर नहीं
पंख हैं मेरे कोमल लेकिन नापना नभ है मुझको
साहस की डोरी को थामे आगे बढ़ना मुझको
मैं थम जाऊँ लक्ष्य से पहले ये मंज़ूर नहीं
मंज़िल मेरी बहुत कठिन है लेकिन दूर नहीं