आँख खुली और सपना टूटा
जीवन का यह खेल अनूठा
आँख खुली और सपना टूटा।
शिथिल देह और सुप्त नयन हैं
किंतु उद्वेलित अंतर्मन है
घटित हुआ वह सच या झूठा
आँख खुली और सपना टूटा।
यात्रा सबकी यहां निरंतर
साथ किसी का न जीवन भर
कोई मिला तो कोई छूटा
आँख खुली और सपना टूटा।
कौन पढा है काल का लेखा
कल क्या होगा किसने देखा
मुस्कानों में आँसू फूटा
आँख खुली और सपना टूटा।
तिनका तिनका नीड़ बनाया
खूब दिखाया खूब छिपाया
घर को अपने स्वयं ने लूटा
आँख खुली और सपना टूटा।
*****************
दुनिया बड़ी निराली बाबा
जिनके जूते महंगे रहते
अक्सर वे पैदल कम चलते
जो अंबार लिए अंबर का
उनके वस्त्र न्यूनतम रहते।
फिर भी लाज की लाली बाबा
दुनिया बड़ी निराली बाबा।
लिए कमंडल संत बिचरते
मोबाइल पर बातें करते।
कुटिया के वैभव के आगे
त्याग,तपस्या पानी भरते।
इनकी रोज दिवाली बाबा
दुनिया बड़ी निराली बाबा।
जनसेवक गाड़ी में चलते
उड़न खटोले पर है उड़ते
लोकतंत्र में राजा बनकर
जनता की सेवा वे करते।
है सेवा मेवा वाली बाबा
दुनिया बड़ी निराली बाबा।
हाथी घोड़े सभी बराबर
ग्राम्यअश्व को मिलता आदर
भक्त मंडली में घुस आए
ओढ़े नव पाखंडी चादर।
बजा रहे सब ताली बाबा
दुनिया बड़ी निराली बाबा।