1 ) और क्या है भाग्य मेरा!
एक ऐसी राह जिसपर,
काँपता …
1 ) और क्या है भाग्य मेरा!
एक ऐसी राह जिसपर,
काँपता …
क्यों जोहता है बाट हँसला
तज दें उथला घाट हँसला।
जो जड़ता …
रंगों की पावन परिपाटी
चुम्बकीय आकर्षण अवितत
दृष्टि जहाँ तक पहुँच रही …
देह की गति, राम जानें,
मन तुम्हें अर्पण है साथी!
हम अपरिचित-से …
गीत-गंगा
नदी की धार तो देखो
पुलों को
बाँधने वालो!
नदी की …
गीत-गंगा
कितना खोया कितना पाया
उड़ते-उड़ते पंछी कितनी दूर निकल आया
नदिया, …
गीत-गंगा
सीखा तुमसे खुलकर हँसना
पहले मेरे इन अधरों पर,
बैठ गया …