कविता-कानन
हमेशा की तरह
पहले उस लड़की ने
भर दी मेरी आँखों में
अपने इंतज़ार की तलब
और आते ही
सौंप दिया मुझे
अपने लौट जाने का
अप्रत्याशित डर!
फिर आख़िर में
लौटते वक़्त
दे गई मुझे उससे
बिछड़ जाने का एक
अंतहीन मलाल
उस लड़की ने
उस रोज़ भी कुछ
नहीं लिया मुझसे
सिवाय देने के
*******************
सर्वश्रेष्ठ रचना
मैंने चाहे पढ़ा कितने ही कवियों,
उनकी अनेक रचनाओं को
या सुनीं इस तलाश में
न जाने कितनी
कविताएँ भी;
पर मैं हमेशा ही
विफल रहा
संसार के उस सर्वश्रेष्ठ कवि
और उसकी
सर्वश्रेष्ठ कल्पना को
तलाशने में
जिसने इस जगत में
सर्वप्रथम ईश्वर की
रचना की
******************
दरगाह में हत्यारा
उसी दरगाह पर
ठीक मेरे सामने
फैला रहा था वो हत्यारा
अपने हाँथों को
फर्श पे अपनी बंदूक रख
और उस रोज़
मैंने अपनी मन्नत में
माँगी उस ख़ुदा से
उसकी दुआ न क़बूल
होने की दुआ
– विधान