कविता-कानन
किताबों के पन्ने
लुभाते हैं मन को किताबों के पन्ने-
सफेद, रंगीन चमकें सुहाने,
कवर का आकर्षण-
खींचे है हर क्षण
भू-लोक पर इनकी गूंजे महत्ता
दिलो-दिमाग पर छाई इनकी ही सत्ता,
मधुरिम से शब्दों के-
फहरें हैं परचम
ग़म की, खुशी की-
सहज बेबसी की,
रोचक, प्रभावी-
बातें हों हावी.
ग़ज़ब के ये पन्ने-
लगें हर्ष बुनने,
कहीं भी, कभी भी-
लगूं इनको गुनने
परिवेश जब होता दुश्वार
जंग छिड़े मन में बारम्बार,
कलम बने तब-तब
तेज धार-हथियार
पढ़ें इनको पूजें
ध्वनि इनमें गूंजें,
कहती हैं क्या कुछ
चलो इनसे पूछें
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पतंगें
उड़ रहीं बेखौफ कितनी
ये गगन में,
हैं बड़ी बिंदास
सचमुच ये पतंगें
ऊँचा फ़लक
इनको निहारे,
पतंगबाज़
चीखें, पुकारें
ध्यान खींचें
फर-फर करें,
डोलते पदचाप
छत धीरज धरें
सप्तरंगी तितलियों-सी
झूमती हैं,
फिरकियों-सी ये
शिखर पर घूमती हैं
चढ़ रहीं हैं डोर पर
सोपान-दर-सोपान
चुभते मांझे ने गढ़ी-
इनकी ग़ज़ब पहचान
पर्व की हैं शान ये
हल्के में तुम न आंकना
उनकी भारी जीत होती
जिन्हें आता थामना
– डॉ. अंजु लता सिंह