नमस्कार मित्रों
आशा है सब स्वस्थ व आनंदित हैं।
जीवन कैसा भी मिले, उसे हर पल आनंद से जीने में ही सफलता है। मुस्कान सबको अपनी ओर आकर्षित करती है और मित्रता का हाथ बढ़ाती है।
चेहरे पर चढ़ी त्योरियाँ को देखकर पहले ही कोई मनुष्य पास नहीं आ पाता। ये घमंड सबको ऐसे मनुष्य से दूर रखता है जिसमें अभिमान के बीज फैलते ही जा रहे हों क्योंकि उसके अंदर किसी और के लिए तो जगह ही नहीं होती।
वह तो स्वयं को ही सबसे बड़ा बादशाह समझता है। जब अपने आपको बादशाह समझने लगता है तो उसे सब अपने से छोटे लगने लगते हैं और वहीं वह मार खा जाता है।
देह है तो रोग भी हैं, मन है तो प्यार के साथ कहीं न कहीं ईर्ष्या और द्वेष भी है। मन को कितना ही वश में करने की चेष्टा करो एक विचार पर टिका ही नहीं रहता।
न जाने कहाँ कहाँ के चक्कर काटता रहता है। यह सब भी ठीक है किन्तु जब मनुष्य स्वयं को दूसरों से हटके समझेगा तब और लोग भी उससे हटकर ही रहेंगे न!
निम्नलिखित लेख कहीं पढ़ा था जो सार्थक व उपयोगी लगा। आज वही मित्रों के साथ साझा करती हूँ-
“एक छोटे से शहर में एक आई.ए.एस अफसर सेवानिवृत्त होने के बाद अपने परिवार सहित रहने के लिये आये। यहाँ आकर अफसर हैरान-परेशान से रोज शाम को अपने घर के नज़दीक के एक पार्क में टहलते हुए अन्य लोगों को देखते हुए उधर से निकलकर आगे निकल जाते।
रूखा सा चेहरा, बिना मुस्कान के लिए वे इधर से उधर घूमते रहते।
वह किसी से भी बात करना पसंद ही नहीं करते थे। एक दिन न जाने कैसे वे एक बुज़ुर्ग के पास गुफ़्तगू के लिए बैठे और फिर प्रतिदिन उनके पास बैठने लगे।
उनकी वार्ता का विषय एक ही होता था – “मैं इतना बड़ा आई.ए.एस अफ़सर था, यहां तो मैं मजबूरी में आ गया हूँ। मुझे तो दिल्ली में बसना चाहिए था। बुजुर्ग शांतिपूर्वक उनकी बातें सुना करते थे।
सेवानिवृत्त अफसर की घमंड भरी बातों से परेशान होकर एक दिन बुजुर्ग ने उनसे पूछा कि आपने कभी फ्यूज बल्ब देखे हैं?
बल्ब के फ्यूज हो जाने के बाद क्या कोई देखता है कि बल्ब किस कम्पनी का बना हुआ था? कितने वाट का था? उससे कितनी रोशनी होती थी?
बुजुर्ग ने आगे फ़िर कहा कि बल्ब के फ्यूज़ होने के बाद इनमें से कोई भी बात बिलकुल भी मायने नहीं रखती है?
लोग बल्ब को कबाड़ में डाल देते हैं? मैं सही कह रहा हूँ कि नहीं?
फिर जब उन रिटायर्ड आई.ए.एस अधिकारी महोदय ने सहमति में सिर हिलाया तो बुजुर्ग फिर बोले –
“रिटायरमेंट के बाद हम सबकी स्थिति भी फ्यूज बल्ब जैसी हो जाती है। हम कहां काम करते थे? कितने बड़े पद पर थे? हमारा क्या रुतबा था? यह सब कोई मायने नहीं रखता।”
बुजुर्ग ने बताया कि मैं सोसाइटी में पिछले कई वर्षों से रहता हूँ पर आज तक किसी को यह नहीं बताया कि मैं दो बार सांसद रह चुका हूँ।
उन्होंने कहा कि वो जो सामने वर्मा जी बैठे हैं वे रेलवे के महाप्रबंधक थे और वे जो सामने से आ रहे हैं साहब वे सेना में ब्रिगेडियर थे और बैरवा जी इसरो में चीफ थे। लेकिन हममें से किसी भी व्यक्ति ने ये बात किसी को नहीं बताई क्योंकि मैं जानता हूँ कि सारे फ्यूज़ बल्ब फ्यूज होने के बाद एक जैसे ही हो जाते हैं। चाहे वह जीरो वाट का हो या 50 वाट का या फिर 100 वाट का हो। कोई रोशनी नहीं तो कोई उपयोगिता नहीं।
लोग अपने पद को लेकर इतने वहम में होते हैं कि रिटायरमेंट के बाद भी उनसे अपने अच्छे दिन भुलाये नहीं भूलते। वे अपने घर के आगे नेम प्लेट लगाते हैं –
रिटायर्ड आई.ए.एस / रिटायर्ड आई. पी.एस / रिटायर्ड पी.सी. एस / रिटायर्ड जज आदि—–
बुजुर्ग ने कहा कि माना आप बड़े ऑफिसर थे? काबिल भी थे? पर अब क्या?
अब यह बात मायने नहीं रखती है बल्कि मायने यह रखता है कि पद पर रहते समय आप इंसान कैसे थे? आपने समाज के लोगों को कितनी तवज्जो दी? समाज को क्या दिया? कितने काम आये? या फिर मुस्कान को तिलांजलि देकर सिर्फ घमंड में ही ऐंठे रहे।
बुजुर्ग आगे बोले कि अगर पद पर रहते हुए भी आप प्रसन्नचित्त न रहकर घमंड में रहे तो बस याद कर लेना कि एक दिन आपको भी फ्यूज होना है!
यह जीवन प्यार से जीने के लिए है घमंड से जीने का नहीं। अगर आपने किसी को प्यार से अपनी ओर आकर्षित नहीं किया तो समझ लीजिए कि आपको कोई प्यार से याद नहीं करेगा। प्रेम ऐसा उपहार है जिसे आप देकर इंसान का प्रेम अपने आप ले सकते हो और पूरी ज़िंदगी ले सकते हो। इसके लिए कोई बंधन नहीं है, प्रेम किसी वृत्त में नहीं रहता। वह तो बस मुस्कान में बसता है।
बुजुर्ग की बातों को सुनकर सेवानिवृत्त अधिकारी सन्न रह गए औऱ उनकी नजरें झुक गयीं।“
यह एक सार्थक संदेश है और उन लोगों के लिये एक आईना है जो पद और सत्ता में रहते हुए कभी किसी का हित नहीं करते| कभी प्रेम से मुस्कुराकर किसी का भला नहीं करते।
हाँ, रिटायरमेंट के बाद ऐसे लोगों को समाज की बड़ी चिंता होने लगती है।
अभी भी वक्त है, हम चिंतन करें तथा समाज की प्रेम से मदद करें।
अपने पद रूपी बल्ब से समाज व देश को रोशन करें, तभी रिटायरमेंट के बाद समाज हमें आदर से देखेगा और हमारा सम्मान करेगा!
बस ,यह ध्यान रखना है कि हम प्रेम से सबके साथ व्यवहार करें।
आप सबकी मित्र