है गुलाबी सर्दियां अब
दिन सुहाने आ रहे हैं।
कोहरे की कम्बल लपेटे
सो रहा सूरज सलोना
सूझता ना पथिक को पथ
हैं हवा में जादू टोना
चिट्ठियां खुशबू की लेकर
दिन पुराने आ रहे हैं
है गुलाबी सर्दियां अब
दिन सुहाने आ रहे हैं।
बांह बाहों से लपेटे
विचरते प्रेमी युगल
है शरारत के शरारे
चाह के रंग हैं प्रबल
प्रेम का परचम लिए अब
दिन लुभाने आ रहे हैं
हैं गुलाबी सर्दियां अब
दिन सुहाने आ रहे हैं।
रात की रंगीनियां है
दो बदन औ’ इक रजाई
जम गई थी झील इसमें
आग किसने है लगाई
आसमानी चांद तारे
ये बताने आ रहे हैं
है गुलाबी सर्दियां अब
दिन सुहाने आ रहे हैं।
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