बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार जी ने हाल ही में शराबबंदी को लेकर एक महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा, 'जो लोग बापू की भावनाओं को नहीं मानते, शराब का सेवन करते हैं उनको मैं हिंदुस्तानी ही नहीं मानता! ऐसा करने वाले काबिल तो हैं ही नहीं, वे महा-अयोग्य और महापापी हैं।' उनके इन शब्दों को कुछ लोग बेहद हल्के में ले रहे हैं। इसकी खूब खिल्ली भी उड़ाई जा रही है। नीतीश कुमार के बयान पर आ रही प्रतिक्रिया को मैं हमारे समाज से जोड़कर समझना चाहती हूँ। जानना चाहती हूँ कि जो लोग इस बयान पर हँस रहे हैं उनकी मानसिकता कैसी है! वे शराबबंदी जैसे विषय पर सतही तर्क क्यों दे रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि ‘शराब पीना महापाप है’ सुनकर हँसने वाले स्वयं ही नशे में हैं।
शराब यदि इतनी ही भारतीयता से भरी होती ...
प्रीति अज्ञात