हर प्रेम को सिद्ध नहीं करना होता है!
हर प्रेम को सिद्ध नहीं करना होता है!
इन दिनों आप जिस भी दिशा में दृष्टिपात करेंगे, आपकी आँखों में निराशा की झलक ही लौटकर आएगी। हृदय उस उदासी का साक्षी बनेगा जो आशाओं के तिलिस्म से बाहर आ और भी गहराती चली जाती है। समाज की बदलती तस्वीर पर अब गर्व नहीं होता बल्कि मस्तक शर्मिंदगी से झुक जाता है। यह वही देश है जो विश्वगुरु की राह पर चलने का दावा करता है। यह वही देश है जो कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। यह वही देश है जिसकी सभ्यता और संस्कृति की दुहाई विश्वभर में सदियों से दी जाती रही है। तमाम विविधताओं के मध्य भी यहाँ की एकता, अखंडता और धर्मनिरपेक्षता का उजला चेहरा सदैव ही चमचमाता रहा है। दुःख और क्षोभ का विषय है कि हमारे अपने इसी देश में प्रेम के सुर्ख़ ...
प्रीति अज्ञात