कविता-कानन
तन की सजावट ही तो है
होना और होना बेहतर
ले लेना नयापन
दिखना सबसे हटकर
मचलते रहना
अपनी तारीफों की ख़ातिर
करना जतन दुनियाभर के
सीख लेना सारी खूबियां
और पहन लेना वो सबकुछ
जो खुद को नहीं
बल्कि पसंद है
दुनियाभर की फैशन को
यायावर कर देना मनवा
इस बाज़ारी भीड़ में
तलाशते रहना ब्रांडेड
और दिखने का छलावा
ये क्या है..?
और क्यों है..?
उत्तर सिर्फ इतना-सा है
सारी की सारी कोशिश
तन की सजावट ही तो है
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है शुरुआत जीत की
संकल्प भर लेना
अपने लक्ष्य-पथ पर चलने का
खुद को ढ़ाल लेना
समय के कहे अनुसार
ज़िद करना अपने आप से
है शुरुआत जीत की
नये प्रतिमान गढ़ना
अपने ही आदर्शो के
सोच के साथ गति देना
अपने बिखरे सपनों को
और सहेज लेना वो परिस्थितियां
जो है अपने आसपास
हमारे सनिकट
है शुरुआत जीत की
– उगम सिंह राजपुरोहित