कविताएँ
रेल मार्ग /सड़क मार्ग
जिस पटरी पर
सरपट भागती है
रेलगाड़ी
वह सड़क मार्ग की छाती को
रौंदती/काटती है
या यूँ कहें
कि सड़क मार्ग
पटरी की छाती को रौंदते/काटते हैं
आखिर
दुनिया में
शरीर को रौंदे बगैर
क्यों कोई यात्रा पूरी नहीं होती
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विपत्तियों का शोर
बच्चे शोर कर रहें हैं
अधिकार है उनका
बच्चों को शोर करने दो
वैसे
हवाएँ भी करती हैं
शोर
धूल उड़ाती हुई
शहर/गाँव/जंगल/पहाड़ को छेड़कर
अट्टहास लगाती
शोर करती हैं
समुद्र की उन्मादी लहरें
पंछी करते हैं
शोर
और
उनका शोर पेड़ों को सुकून देता है
एक शोर
दूर दिल्ली में होता है संसद भवन में
बहुत दूर से
एक शोर का आभास हो रहा है
मुझे ही नहीं बहुतों को
वह विपत्तियों का शोर है
आने वाला है इस धरती पर
प्रलय के साथ कदम-ताल मिलाता हुआ
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सुंदर
सुंदर मनोरम दृश्य
सुंदर खेलते बच्चे
सुंदर-सी युवती
सबको आकर्षित करते हैं
सुंदर चीजों से
लेकिन
कोई सुंदर-सी तस्वीर
कोई कलात्मक मूर्ति
नहीं गढ़ी जा सकती
लाजवाब
अतुलनीय कलात्मक मूर्ति
गढ़ने के लिए
धारदार
नुकीला
खुरदुरा होना
बहुत जरुरी है
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पतंग
रुक गई हवा
निढाल हो गई पतंग
गिर गई
फंस गई पेड़ में
अब
जीवन में
उलझन ही उलझन है
– सुधीर कुमार सोनी