कविता-कानन
एक संपूर्ण जीवन यात्रा
जन्म से जुड़े रिश्ते
शिराओं में बहते रहे
सर्द खामोशी में लिपटा अस्तित्व
अनभूतियाँ जड़वत हुईं
नेह की अंतिम बूंद भी
भिगो न सकी
भावनाओं से सूखी भूमि को
वक्त फिसलता रहा रेत की तरह
और
पूरी कर ली गई
एक संपूर्ण जीवन यात्रा।
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हल ही नही हमारे पास
क्यूँ है संघर्ष साँसों का,
क्यूँ अभावों की काली रात,
क्यूँ बचपन धूप में बिलखे,
क्यूँ जीवन राह में छूटे,
क्यूँ रोटी इस कदर मुश्किल
कि जीवन चल बसे उसमें
न जाने कितने प्रश्नों का
हल ही नही हमारे पास
भाव शून्य है उर में
कविता हो रही उदास।
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अच्छा लगता है सबका साथ
सुनो!
जब बहुत सारे प्रश्न उठ रहे हों आसपास
बिना जवाब मिले भी आगे बढ़ जाना तुम
अच्छा लगता है कुछ अनुत्तरित प्रश्नों का साथ
जब अहं की काली रात घिर रही हो
अंतर का प्रकाश
आलोकित रखना तुम
अच्छा लगता है उजाले का साथ
जब ज़िंदगी सिखा रही हो तुम्हें
दुनियादारी के दाँव-पेंच
कुछ रिश्ते जीत लेना तुम
अच्छा लगता है सबका साथ
– रागिनी श्रीवास्तव